इन उनींदी आँखों के सुनहरे सपने कुचलते हो क्यों?
विकास के वादों से विश्वास जीतकर हमारा, अगले ही पल हमें छलते हो क्यों?
चमन की रंगीनियत फूलों के साथ साथ खिलने से होती है;
जुदा करके उन्हें यूँ चमन की खूबसूरती निगलते हो क्यों?
- कपिल कुमार गुप्ता 'दीवाना' (जुलाई ३०, २०१३)