य़ाद में तेरे ज़ीना मरना, हमने कब का छोड़ दिया है,
अपने दिल को गिरवी रखना, हमने कब का छोड़ दिया है,
एक नजर यूँ देख के तुझको, इश्क़ तुझी से कर बैठे थे,
खाते-पीते रोते-हँसते, हर जज्बात में तुम ही रहते थे,
तोहफा-ए-दिल जब तुझको हमने पेश किया था,
बेदर्दी ए ज़ालिम तूने उस चाहत को दुत्कार दिया था,
फूल से नाजुक तन में पत्थर का दिल रखने वालो,
पत्थरों से प्यार करना, हमने कब का छोड़ दिया है।
- कपिल कुमार गुप्ता 'दीवाना' (अगस्त १९, २०१३)
अपने दिल को गिरवी रखना, हमने कब का छोड़ दिया है,
एक नजर यूँ देख के तुझको, इश्क़ तुझी से कर बैठे थे,
खाते-पीते रोते-हँसते, हर जज्बात में तुम ही रहते थे,
तोहफा-ए-दिल जब तुझको हमने पेश किया था,
बेदर्दी ए ज़ालिम तूने उस चाहत को दुत्कार दिया था,
फूल से नाजुक तन में पत्थर का दिल रखने वालो,
पत्थरों से प्यार करना, हमने कब का छोड़ दिया है।
- कपिल कुमार गुप्ता 'दीवाना' (अगस्त १९, २०१३)
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