Monday, September 23, 2013

तेरा इनकार

कनखियों से छुपते- छुपाते तुझे हर बार देखा है ;

चाहे ना हो मयस्सर दीदार तेरा ; घंटो मैंने इंतज़ार देखा है

 इनकार किया था तूने यूँ बंद पलकों के साये में;

मालूम था शायद तुझे भी, कि आँखों में मैंने तेरी इज़हार देखा है।


                                                                            - कपिल कुमार गुप्ता 'दीवाना' (सितम्बर २३, २०१३)

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