Saturday, April 5, 2014

दिल से

हर पल  हर ख्याल में तू ही तू, यही फ़रमाया है आपसे;

खुद को तो कब का खो चुके, अब तो हमसाया है आपसे,

जिस दरिया में उतरने को हजारो कश्तियाँ थी मचली,

वो दिल सबसे बचा के लगाया है आपसे।

                                                      - कपिल कुमार गुप्ता 'दीवाना' (मार्च २३,२०१४)


क्यूँ तनहा है दिल मेरा, सब के साथ भी,

आसमां भी है साथ में और तारों की बारात भी,

ढूँढ रहीं हैं निगाहें आज भी तुझे ए चाँद,

एक तनहा मैं हूँ और एक अकेली रात भी।
                                                            
                                                      - कपिल कुमार गुप्ता 'दीवाना' (मार्च २४,२०१४)




कभी इधर जाये कभी उधर जाये,

क़दरदान हुस्न के यूँ ना हों बेख़बर जायें,

माना बेवफ़ाओं से भरी पड़ी है ये ज़ालिम दुनियाँ,

पर हम वो नहीं जो वादा क़रके मुक़र जायें। .
                                                            
                                                      - कपिल कुमार गुप्ता 'दीवाना' (मार्च २४,२०१४)

Monday, September 23, 2013

तेरा इनकार

कनखियों से छुपते- छुपाते तुझे हर बार देखा है ;

चाहे ना हो मयस्सर दीदार तेरा ; घंटो मैंने इंतज़ार देखा है

 इनकार किया था तूने यूँ बंद पलकों के साये में;

मालूम था शायद तुझे भी, कि आँखों में मैंने तेरी इज़हार देखा है।


                                                                            - कपिल कुमार गुप्ता 'दीवाना' (सितम्बर २३, २०१३)

Saturday, September 7, 2013

तेरे सपने

सपने देखूं अब मैं तेरे,
 तेरी यादों के हैं फेरे

तेरे होठों की ये लाली, 
होली तू मेरी है दिवाली 

तेरी ये आँखें हैं नशीली, 
बातों में तू है शर्मीली 

तेरे जो गाल हैं गुलाबी , 
करते हैं मुझे ये शराबी 

अपना मैं तुझको बना लूं,   
दिल का मैं आशियाँ सजा दूं 

कातिल है तेरी ये जवानी, 
तू ही मेरे सपनों की रानी 

                          - कपिल कुमार गुप्ता 'दीवाना' (सितम्बर ७, २०१३)

Monday, August 19, 2013

दर्द-ए-दिल

य़ाद में तेरे ज़ीना मरना, हमने कब का छोड़ दिया है,
अपने दिल को गिरवी रखना, हमने कब का छोड़ दिया है,

एक नजर यूँ देख के तुझको, इश्क़ तुझी से कर बैठे थे,
खाते-पीते रोते-हँसते, हर जज्बात में तुम ही रहते थे,
तोहफा-ए-दिल जब तुझको हमने पेश किया था,
बेदर्दी ए ज़ालिम तूने उस चाहत को दुत्कार दिया था, 

फूल से नाजुक तन में पत्थर का दिल रखने वालो,
पत्थरों से प्यार करना, हमने कब का छोड़ दिया है। 

                                                           - कपिल कुमार गुप्ता 'दीवाना' (अगस्त १९, २०१३)

Tuesday, July 30, 2013

क्यूँ!

इन उनींदी आँखों के सुनहरे सपने कुचलते हो क्यों? 

विकास के वादों से विश्वास जीतकर हमारा, अगले ही पल हमें छलते हो क्यों? 

चमन की रंगीनियत फूलों के साथ साथ खिलने से होती है; 

जुदा करके उन्हें यूँ चमन की खूबसूरती निगलते हो क्यों?
                                         
                                                               - कपिल कुमार गुप्ता 'दीवाना' (जुलाई ३०, २०१३)



Friday, July 19, 2013

Special

Yun Na Chalkao Ashq aankho se; Kahi sailab naa ho jaye.
Tujhe yun rota dekh kahi muskaan sabhi ki na ro jaye.
Gam ke badal chantne de tu dhoop khushi ki bantne de;
yun dekh ke tera chehra haseen AAFTAB jaha se kho jaye.

                                                                      - कपिल कुमार गुप्ता 'दीवाना' (जुलाई १९, २०१३)

Thursday, May 23, 2013

Motivational

Har insan ki apni ek aukat hoti hai.
Har mod pe naye sapno se mulakat hoti hai...
Ghabra nahi tu sapno ka yu ant dekhkar..kyuki...
Har ant me chupi ek nyi shuruat hoti hai....

                                                       - कपिल कुमार गुप्ता 'दीवाना' (मई २३, २०१३)